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वीर धन्ना 1
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- सब व्यापारियों ने कहा, कि "यह मिट्टी का ढेर धन्ना को दे दो। धन्ना अभी लड़का है" "समझदार तो है नहीं। इसलिये यह मिट्टी इसी को दे दो। एक व्यापारी धन्ना से बोला कि "धन्ना तू व्यापार का प्रारंभ करता है, इसलिये यह नमक ले जा। इस नमक को ले जाने से व्यापार का बहत अच्छा शकुन होगा। दूसरे व्यापारियों ने पहले व्यापारी के इस कथन का समर्थन करते हुये धन्ना से कहा, कि “यह सेठ जी ठीक कहते हैं।" धन्ना समझ गया, कि "यह सब लोग मुझे उल्लू बनाते हैं, लेकिन देखता हूँ उल्लू कौन बनता है !'' इस प्रकार विचार कर धन्ना ने कहा "मेरे भाग्य में यह नमक है तो कोई हर्ज नहीं, मैं इसे ही ले लूगा।" । धन्ना इस नमक को लेकर घर आया। धन्ना के द्वारा लाई हुई नमक की सी मिट्टी को देख कर तीनों भाई पिता से कहने लगे कि "पिताजी ! अपने समझदार लड़के की करतूत देखो। हम कहते ही थे, सच्चे व्यापार में परीक्षा होती है। शहर में और सबने तो अच्छा अच्छा किराना खरीद लिया, लेकिन भाई ने मिट्टी खरीदी। कहिये धन्ना बहुत होशियार है न ?"
धनसार सेठ धन्ना से पूछने लगे, कि “धन्ना ! तू यह मिट्टी क्यों लाया ! तुझे कोई अच्छा किराना नहीं मिला ? धन्ना ने उत्तर दिया कि-"पिताजी, यह मिट्टी नहीं है, तेजंतुरी है । कड़ाही को गरम करके उसमें तेजंतुरी डाल देने से सोना बन जाता है। धन्ना के कथनानुसार प्रयोग करके देखा, तो सचमुच सोना बन गया । सब लोग बहुत प्रसन्न हुए । और धन्ना बहुत धनवान बन गया।
धन्ना के तीनों भाइयों ने धन्ना से ईर्ष्या करना नहीं छोड़ा। वे नित्य कलह किया करते । धन्ना ने विचार किया कि "भाइयों का
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