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________________ जैन कथा संग्रह ] [ २० फिर क्या हुआ? फिर, सेठानी ने सब नौकरों को बुलाकर धमकाया कि"खबरदार ! यदि किसी ने सेठ जी से यह बात कही तो वह कहने वाला अपनी जान की खैरियत न समझे।" इस तरह नौकरों को भय दिखलाकर, सेठानी जी अपने पीहर को चली गई। शाम होने पर सेठ जी घर आए। इधर-उधर देखा किन्तु कहीं भी चन्दनबाला न दिखायी दी । अतः इन्होंने नौकरों से पूछा''चन्दनबाला कहाँ है ?" किन्तु सेठानी के भय के मारे किसी ने भी उत्तर न दिया। सेठ ने सोचा कि कहीं इधर-उधर खेल रही होगी। दूसरे दिन चन्दनबाला को न देख, सेठ ने नौकरों को इकट्ठा कर उनसे फिर पूछा-"चन्दनबाला कहाँ है ?" उस समय भी किसी ने उत्तर न दिया। सेठ ने फिर सोचा कि कहीं इधर-खेल रही होगी। जब तीसरे दिन भी उन्होंने चन्दनबाला को न देखा, तब बड़े क्रोधित हुए और नौकरों को धमकाते हुए उनसे पूछा- “अरे, सच बतलाओ कि चन्दनबाला कहाँ है ? जल्दी बताओ, नहीं तो में तुम सबको बड़ा कड़ा-दण्ड दूंगा"। तब एक वृद्ध स्त्री ने हिम्मत करके सारी बात सच-सच कह दी। यह सुनकर सेठ को अपार-दुःख हुआ। वे बोल उठे "मुझे जल्दी वह जगह बतलाओ, जहाँ मेरी प्यारी बेटी चन्दनबाला कैद है"। फिर कहने लगे -"आह, ओ दुष्टा-स्त्री ! ऐसा नीच काम करने की तुझे क्या सूझी?" उस बुढ़िया ने वह कमरा बतलाया, अतः सेठ जी ने तुरन्त उसका दरवाजा खोल डाला। भीतर घुसकर देखते हैं कि चन्दन Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003828
Book TitleJain Granth Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhirajlal Tokarshi Shah, Agarchand Nahta
PublisherPushya Swarna Gyanpith Jaipur
Publication Year1978
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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