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सच्चा शाह खेमा-देदराणी ]
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सब हाल कह सुनाया। देदराणी ने कहा-"कि बेटा, धन आज तक न तो किसी के साथ गया है और न जायेगा। पैसा फिर लौटकर मिल सकता है, किन्तु अच्छा-मोका बार-बार नहीं आता। यह तो घर बैठे गंगा आ गई है, अतः तु इससे जितना भी लाभ उठा सके, उठा ले ।" खेमा ने फहरिस्त में अपने नाम के सामने ३६० दिन लिखकर उसे चांपसी मेहता के हाथ पर रख दिया।
यह देखकर सबके सब भौंचक्के से रह गए। वे सोचने लगे कि कहीं खेमा के सिर पर पागलपन तो सवार नहीं है ? फिर चांपसी-मेहता बोले, कि खेमा सेठ जरा विचार कर लिखिए।"
खेमा सेठ बोले-कि-"मैंने तो बहुत थोड़ा ही लिखा है। सेठ साहब, आप कृपा करके इसे तो रहने ही दीजिए। फिर खेमा उन लोगों को झोंपड़े की तरह दिखाई देने वाले, अपने घर में ले गया। घर के भीतर एक गुफा थी, जिसमें ले जाकर उसने वहाँ भरो हुई अपनी सम्पत्ति दिखलाई।
सब लोग उस सम्पत्ति को देखकर आश्चर्य करने लगे और सोचने लगे कि 'ओहो, इतने अधिक धन का स्वामी और इस देश में ? और ऐसे घर में ? खेमा ! तू धन्य है, कि इतनी भारी सम्पदा होने पर भी तुझे जरा सा अभिमान अथवा मस्ती नहीं है।
फिर सबने खेमा से कहा, कि खेमा सेठ ! अब इन कपड़ों को उतार डालो और अच्छे कपड़े पहिन लो ! क्योंकि अब आपको बादशाह के सामने जाना है । खेमा ने उत्तर दिया, कि-"बादशाह के सामने जाने के लिए, तड़क-भड़क दार कपड़े पहिनने की क्या आवश्यकता है ? सेठ जी हम ग्रामीण लोग इसी पोशाक में अच्छे मालूम होते हैं। हमारे लिए शाल-दुशालों की आवश्यकता नहीं है।"
चांपसी मेहता ने कहा कि-"सचमुच सेठ तो आप ही हैं, हम लोग तो केवल आपके गुमाश्ते हैं" इसके बाद खेमा सेठ को पालकी
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