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[ जैन कथा संग्रह असुविधा पड़े तो घर वाले का गृहस्थ-धर्म नष्ट होता है । यही सोचकर उन्होंने मस्जिद बनवाई थी। इसी मस्जिद में जाकर उनके सब मुसलमान-महमान खुदा की बन्दगी किया करते थे।
गुजरात के धन कुबेर जगडूशाह, इसी प्रकार बड़े-बड़े कार्य कर चुकने पर स्वर्ग-लोक को चले गये । जगडूशाह के भाई इस समय बड़ा दुख करने लगे, किन्तु गुरुजी के उपदेश को सुनकर उनके हृदयों में शान्ति मिली।
उस काल में जगडूशाह के समान और कोई दान-वीर नहीं हुआ।
जगडूशाह-"जगत के रक्षणहार' के नाम से प्रसिद्ध हैं उन्होंने दुष्काल के समय अपूर्व उदारता दानशीलता का परिचय दिया। ऐसे से दानवीरों ही जैन समाज गौरवान्वित है।
___ समय समय पर और अनेक बार भारत के विविध क्षेत्रों में दुष्काल पड़े, उनमें जैन समाज के नररत्ने ने दिल खोलकर धन खर्च कर जन-संरक्षण किया। जैन धर्म का गौरव बढ़ाने वाली यह भव्य परम्परा निरन्तर चालू रहे, यही शुभ कामना है।
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