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कुमारपाल ]
[ १०७ कुमारपाल को गद्दी मिलते ही उन्होंने अपने सब उपकारी मनुष्यों को याद किया। भोपालदे को अपनी पटरानी बनाई, भीमसिंह को अपना शरीर रक्षक-बनाया। श्रीदेवी के हाथ से अपना राज्य-तिलक करवाया, और ढोलका गांव इन्हें इनाम में दे दिया। सज्जन को सात-सौ गांवों का सूबेदार बनाया और देश का हाकिम बना दिया। उदायन मन्त्री को अपना प्रधान बनाया। और उनके पुत्र वागभट्ट को नायबदीवान नियुक्त किया। एवं श्री हेमचन्द्राचार्य को अपने गुरू के स्थान पर स्थापित किया।
कुमारपाल के गद्दी पर बैठने के बाद उनके अधीन राजाओं ने यह मान लिया कि वे निर्बल हैं। अतः किसी ने कर देने से इन्कार कर दिया, और किसी-किसी ने तो उपद्रव करना शुरू कर दिया। किन्तु कुमारपाल बड़े बहादुर थे। उन्होंने अपनी मजबूत सेना द्वारा अजमेर के अर्णोराज को अपने वश में किया। मालवे के बल्लालों को अपना मातहत बनाया और कौंकण के मलिकार्जुन को भी हराकर अपने वश में कर लिया। इसी तरह सोरठ के समरसिंह को भी अपने अधीन कर लिया और दूसरे अनेक छोटे-मोटे राजाओं को जीत कर अपने वश में कर लिया। इस तरह कुमारपाल ने १८ देशों में अपनी दुहाई फिरबाई ।
___कुमारपाल के राज्य की सीमा, उत्तर में पंजाब तक, दक्षिण में विन्ध्याचल तक, पूर्व में गंगा नदी तक और पश्चिम में सिन्धुनदी तक थी। इनके बराबर राज्य विस्तार गुजरात में किसी भी राजा ने नहीं किया।
- कुमारपाल अपने गुरू श्री हेमचन्द्राचार्य की बड़ी भक्ति करते और प्रत्येक कार्य में उनकी सलाह लेते थे। गुरूराज भी ऐसे
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