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करने के पश्चात मन्दिरमें प्रवेश किया है । स्त्रियां प्रदिक्षणा देते समय तथा बाहिर निकलते समय अनेक प्रकार की सांसारिक बातें करती हैं, परन्तु ऐसी बातें करने से परमात्मा की प्राज्ञा एवं अपनी की हुई प्रतिज्ञा का भी भंग होता है यह उनको सर्वदा स्मरण रखना चाहिये ।
(३) जिन - मन्दिर में प्रवेश करके प्रभुके सामने जाकर दूर हीसे मुख दर्शन करके पश्चात प्रभु की दाहिनी ओर से ३ प्रदिक्षणा देनी चाहिये । इस प्रदिक्षणा में परमात्मा के गुणोंका चितवन करना चाहिये, ज्ञान, दर्शन और चारित्र इन तीन पदोंका तीन प्रदिक्षणा देते समय चिन्तवन करना चाहिये । परन्तु साथ ही साथ जीवयतना अवश्य करनी चाहिये। किसी भी अशुचि पदार्थादिक से कहीं आशातना होती हो तो उसका निवारण करना तथा करवाना चाहिए। यह प्रदक्षिण- त्रिक भव भ्रमण निवारण के लिए परम साधन है । पुरुषवर्ग में
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