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ऐसे वस्त्र पहन कर अष्टपुट मुखकोश बांध कर पूजाके उपकरण साथ लेकर जिनमन्दिर जाना चाहिए। मुखकोश अङ्ग पूजा ही के समय बांधा जाता है ऐसा नहीं समझना चाहिए जब तक गर्भगृह के अन्दर रहे तब तक तो जरूर बांधे रखना चाहिये. कारण गर्भगृह के अन्दर खुले मुख बोलने से दुर्गन्ध फैलती है तथा थूक भी उछलता है । इसलिये गर्भगृह से निकलने के बाद मुखकोश खोलना चाहिए । इसके साथ २ यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि जल, चन्दन, पुष्प पूजा करते समय मुखकोश वांधे रहने पर भी बोलना नहीं चाहिए मौन रह कर परमात्मा के गुणों का चिन्तन करते हुए अंग पूजा करनी चाहिए, यह बात विशेष ध्यान देने योग्य है ।
(१) तीनों कालोंमें जिन मन्दिर जाते समय ५ अभिगमन निम्नलिखित तरीके से साचवना चाहिए । १ सचित्त वस्तु तथा उप
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