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हो तो उतना ही खर्च केशर खातेमें घटा देना चाहिये। गहरी लाल केशर चढ़ाना बहुत हानि कारक है कारण इससे अनेक बिम्बों पर दाग पड़ जाता है और छिद्र एवं खड्ड तक पड़ जाते है। इत्र का उपयोग करनेवालोंको भी इस वातका ध्यान रखना जरूरी है कि जो इत्र (अतर) विम्बके अनुकूल न हो तो इसके लगाने को कोई आवश्यकता नहीं है। ___(5) अव पुष्प-पूजा की बारी आती है। पुष्प दो प्रकार से चढ़ाये जाते हैं। १ छटे हुये २ गुथे हए जैसे हार । पुष्प सुमधुर सुगन्धयुक्त
और सुशोभित होने चाहिये और जिसकी पांखडी गिरो हुई न हो ऐसे और योग्य रीतिसे लाये हुंये हाने चाहिए। ऐसी स्त्रिये जो ऋतु-दिवसों का पालन न करतो हो, उनके लाये हुए पुप्प सर्वथा चढ़ाने लायक नहीं होते हैं । अलावा इसके कोई पुरुष यदि विवेक पूर्वक लाया होवे तो उन पुष्षों को ले लेना चाहिये। हरेक पुष्प
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