________________
(४) जिनबिंब का प्रक्षालन (पखाल) करने में गत दिवसकी केशर पुष्पादिक को दूर करना सबसे प्रथम प्रयोजन है। क्योंकि पुष्प सुवासित होनेसे उनमें अनेक त्रस जीवों की उपस्थिति (होना) सम्भव है अतः उन्हेः पहिले ही से न हटा कर प्रक्षालन के जल के साथ ही छोड़ दिये जाते हैं जिससे उनमें स्थित त्रस जीवों का विनाश होता है। पहिले या पीछे किसी भी समय एक भी पुष्प न्हावण के जल में पड़ना हो नहीं चाहिये। यह बात खास तौर से ध्यानमें रखनी चाहिये।
(५) जिनबिम्ब के ऊपर लगी हुई गत दिवस की केशर को बासी केशर कहते हैं. उसे हटाने के लिये भीगे हुये अङ्गलहणोंसे काम लेना चाहिये परन्तु ऐसा होनेके जाय बालकुची से इस तरह प्रक्षालन कराया जाता है मानो सुवर्णकार गहने धोरहा हो सुवर्णकारकी बालकुंचो तो बालों की होनेसे सुकोमल होती है
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org