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{ ४४ ) से कही है विस्तार से देवबन्दन' भाष्य २ जिनदेव दर्शन, स्यादवादानुभव रत्नाकर आदि प्रन्थमें है इसलिये विस्तारसे उन ग्रन्थोंसे ओर सद्गुरु से जानना ।
१५ मन्दिरमें अच्छी तरह प्रकाश पड़ने लगे कि जिससे जीव यत्ना भली प्रकारसे हो सकती हो उस समय खुलना चाहिये। मारवाड़ादिमें मन्दिर बहुत जल्दी खुलते हैं यह ठीक नहीं जीव दया यथावत् नहीं पलती इसलिये इस रोतिको सुधारने की जरूरत है। यह कार्य स्त्रियोंके लजाके कारण होता है लेकिन ऐसी लज्जा करना उचित नहीं कि जिससे धर्ममें नुकसान पहुंचता हो। सूर्योदयसे पहले एजन होता है वह भी अयोग्य है। तथा संध्या समय मङ्गल दीपक आरति हो जानेके बाद मंदिर बंद हो जाने चाहिये। रात्रिमें ( विना विशेश पर्व
और तीर्थादि ) मंदिर खुला रखना संघपटकादि ग्रन्थों में निषेधित है। पूजाका कार्य सेवकों
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