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( ४३ ) पालन करनेसे ही फायदा होता है वैसेही कर्म रोगको दूर करनेको धर्म रूप औषधिके साथ विधि रूपी पथ्य अवश्य सेवन करना चाहिये तभी पूर्ण लाभ मिलता है अन्यथा हानि होनेकी संभावना है। यहां यह प्रश्न होना सम्भव है किः-यदि सम्पूर्ण विधि पालन न हो सके तो धर्म क्रिया ( पूजनादि ) करनी या नहीं? इस का उत्तर यह है कि:-यथा साध्य प्रयत्न करने पर भी विधि न पले तो भी धर्म क्रिया तो अवश्य करते रहना चाहिये क्योंकि करते रहनेसे तो कभी न कभी विधि मार्ग में प्रबृति हो जायगी इस लिये क्रिया करना न छोड़े तथापि विधि मार्ग की ओर लक्ष्य और प्रयत्न तो अवश्य होना ही चाहिये। विधि मार्ग आराधक को धन्य है बहुमान करनेवाले भी धन्य हैं ___ १३ चैत्यबन्दनादिमें जो २ पाठ आवें वे तथा स्तवन, पूजाका अर्थ जरूर सीखना चाहिये। ___ १४ पूजन विधि आदि इस ग्रन्थमें संक्षेप
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