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पर वस्त्र ं लपेटा रखे ६१ फूलको सेहरा रखे ६२ नारियल आदिका छिलका डाले ६३ गेंद ( दडी ) खेले ६४ जुहार, मुजरा आदि करें ६५ भांड कुचेष्ठा करे ६६ तूं तूं शब्द कहे ६७ लहना ६८ संग्राम करे ६६ मस्तक केश सुकावे ७० पालखी लगाके बैठे ७१ पावडी पहने ७२ शरीर धोकर कीचड़ करे ७३ शरीर दबावे ७४ पग पसारे ७५ शरीरकी धूल झाड़े ७६ मैथुन सेवन करे ७७ जूं लीख गेरे ७८ भोजन करे ७३ गुह्य चिन्ह ढक कर न बैठे ८० वैद्यक काम करे ८१ क्रय विक्रय व्यापार करे ८२ सय्या करके सोवे ८३ पीने के वास्ते जल रखे ८४ स्नान के लिये जगह बनावे ये उत्कृष्ट ८४ आशातनायें हैं ।
जहां तक हो सके स्वयं किसी प्रकारकी आशा
तना करनी नहीं दूसरा करता हो तो निवारण
क
करना यह प्रत्येक जैनी का कर्तव्य है ऐसा न करनेसे दोषका भागी होना पड़ता है १०० वर्ष
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