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आशातना का खाश ध्यान रखना चाहिये तथा प्रति वर्ष आय व्यय का हिसाब प्रगट कर देना चाहिये।
११ आशातना का अर्थ यह है कि:- आय(ज्ञानदर्शन और चारित्रका) और शातनाविनाश या खंडन । याने जिस कार्यसे लाभका नाश हो उसे आशातना कहते हैं। या आ, चारों सरफ से, और शातना याने विनाश, तो चारों तरफसे जिससे विनाश हो उसे आशातना कहते है। भला कौन ऐसा विवेकी पुरुष होगा जो लाभका विनाश करनेको इच्छा करे ? अपितु कोई नहीं। इसलिये लाभ को नाश करनेवाले सर्व कार्योका त्याग करना चाहिये। वे कार्य मुख्यरूप से निम्नलिखित हैं । आचार्योने अल्प वुद्धि वालोंके लिये उसके ३ भेद किये हैं :
जघन्य-मध्यम और उत्कृष्ट इनको क्रमसे लिखते हैं :
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