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________________ ) भरना चाहिये, स्पष्ट न पढ़ सकें तो न भरना चाहिये तथा दिवाल आदि जहां पर कोई प्राचीन शिल्पकला का नमुना हो और शिलालेख हो उस पर रंग नहीं करना चाहिये इस तरफ जरूर ध्यान रखना । ६ पूजा या दर्शन कर प्रभुके सामने (प्रभु से ) कोई भी फल मांगना नहीं चाहिये निदान ( नियाणा ) करना तो सर्वथा त्याज्य ही है लेकिन कई लोग प्रभुसे पुत्र, धन स्त्री, रोगनाश आदिको याचना करते है यह लोकोत्तर देवगत मिथ्यात्व है । इसलिये कोई भी आशा, फल इच्छा रहित होके हो भक्ति करना लाभदायक है । कभी २ कई लोग प्रभुसे कोई फल मांगते है लेकिन उनके निकाचित कर्मवश वह प्राप्त न होनेपर उनकी श्रद्धा मंद पड़ जाती है। अन्य देवोंकी शरण लेने लगते है इत्यादि अनेक कारण है इसलिये फलकी याचना न करे । १० मन्दिर के संरक्षकों को मन्दिरजीकी For Personal and Private Use Only Jain Educationa International www.jainelibrary.org
SR No.003826
Book TitleJinraj Bhakti Adarsh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDanmal Shankardan Nahta
PublisherDanmal Shankardan Nahta
Publication Year
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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