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( ३४ ) मैं अपने को धन्य, कृत पुण्य, मानता हूँ आज मेरी भाग्य दशा जागो अब उन्नति शीघ्र और अवश्य होगी ऐसा मैं मानता है। भावना की धारा का वर्णन कोई कर नहीं सकता। आत्मा की उन्नतिके इच्छक प्राणियोंको विस्तार से भावना भानी चाहिये। ___ ७ यथावसर पर्व आदि दिनोंमें प्रभुकी अंगी करनी चाहिये इसका हेतु यह है कि दर्शकके भावों की विशेष बृद्धि होवे इसो लक्ष्य को रख कर अंगी करनी चाहिये।
८ कई जगह मन्दिरों में रंग कराया जाता है उसके साथ ही मर्तिके नीचेके शिलालेख पट्ट पर भी रंग फेर देते हैं या अक्षर लिपिमें रंग भर देते हैं तो रंग करनेवाले कारीगरों की अज्ञता के कारण संवतादि अक्षरों पर उलट पुलट रंग भर दिया जाता है इससे इतिहासमें बहुत खामी पहुंचती है इसलिये रग अक्षरोंमें भरते समय अक्षरोंको अच्छी तरह देख कर
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