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( १७ ) मूर्तिका दर्शन न करे तो छ? (बेला) और पंचोलेका प्रायच्छित लिखा है (मूलपाठके लिये देखो सम्यक्तवशल्योद्धार और जिन प्रतिमा सिद्धि) तथा पूजाका फल सूत्रोंमें अनेक जगह हित, सुख, क्षमा और मोक्ष कहा है इससे प्रत्येक श्रावक को विधि सहित नित्य दर्शन प्रतिदिन यथाशक्ति पूजन करना चाहिये।
मूर्ति पूजा (द्रव्य पूजा)में हिंसा नहीं है
__ कई लोग ऐसा कहते हैं किः-द्रव्य पूजामें हिंसा है और हिंसामें तो पोप है। इसलिये द्रव्य पूजा करना ठीक नहीं। इसका उत्तर यह है कि:-जिनेश्वर के बचन एकान्त नहीं है देखिये सूत्रोंमें भी कहा हैः-साधु नदोको पार करे, नदीमें डूबती हुई साधी को निकाले, इत्यादि तो क्या इन कार्योमें हिंसा नहीं है ? तथापि भगवान ने आज्ञा क्यों दी है। और
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