________________
न होने पर भी प्रभु दर्शन पूजन करनके कारण जैन धर्ममें दृढ़ रहते हैं। पूर्व परम्परा से भी भी हमारे पूर्वज इस कार्य को करते आये हैं इससे हम जैनी है यह जानते हैं तो उनका सुधार, उद्धार भी हो सकता है, धर्म से च्युत नहीं होते। ____ (ग) इतिहास में मूर्ति ओर मन्दिर के शिलालेखों द्वारा बहत प्रकाश पड़ता है यह प्रत्यक्ष ही है।
(घ) शिल्प कला को इसमें बहत पोषण मिला है और मिलता हैं। ___ (ङ) द्रव्यको शुभ मार्गमें लगाने का यह प्रशस्त मार्ग है इत्यादि अनेक लाभ हैं। इस लिये मति का दर्शन, बंदन, पजन नित्य करना चाहिये । महाकल्प सूत्र का भी साधु श्रावकको नित्य जिन मूर्तिके दर्शन करनेका अभिप्राय पाया जाता है। जिस स्थानमें जिन मन्दिर हो वहां यदि साधु और पौषध धारी श्रावक जिन
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org