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( १० ) राजा कलिंग देशसे श्रोऋषभदेव भगवान की प्रतिमा ले गया था। जिसे सम्राट खारवेल वापिस ले आया। इस स्थल पर यह विचार योग्य है कि जिस “ऋषभ प्रतिमा” को नन्द ले गया था वह "भूति” नन्द राजाके पूर्व काल की थी। इससे यह मति भगवान महाबीर के समय की होगी ऐसा अनुमान करना अनुचित न होगा क्योंकि नन्दराजा और श्रोणिक महाराजा व भगवान महावीर के समय का अन्तर कुछ अधिक नहीं है। इससे यह भली भांति सिद्ध होता है कि भगवान महाबीर के समयमें या उस समयके करीब, जैन जनता “जिनप्रतिमा” को मानती थी और उन मूर्तियोंकी प्रतिष्ठा करवाकर मन्दिरोंमें स्थापित करती थी। ___(२) कंकालोटोलेको (मथुराके पास) खोदने पर जो प्राचीन वस्तुएं प्राप्त हुई हैं उनमें "जिन प्रतिमाएं" व जिन मन्दिरों के शिलालेख भी बहुत संख्यामें मिले हैं। उनमें एक
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