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( ११० ) हमें यह बतला दीजिये कि आत्मा और कर्म दोनोंमें बलवान कौन है ? ___उत्तर-हे जिज्ञासु बन्धुवर्ग ! आपकी यह तर्क ठीक है क्योंकि जबतक आत्मारूपी सिंह ने अपने पराक्रम को प्रकट नहीं किया है, तब तक कर्मोका बलवत्तरपन है। श्रीसर्वज्ञ परमात्मा फरमाते हैं कि "कश्थ य जोवो वलियो कथ्थ य कम्मावि हुँति बलियाई” (किसी समय जीव और किसी समय कर्म बलवान होते हैं ) अस्तु आत्मा बलवान होनेसे जरुर कर्मोका नाश कर देता है। इसीलिये जिनेश्वर भगवान अपनी आत्मशक्तिका विकाश कर कर्मोंका नाश कर देनेसे जिनेश्वर भगवान पूज्य और अपन पजक, श्रोजिनेश्वर भगवान परमात्मा और अपन बाह्यात्मा इत्यादि अधिक प्रभेद हैं। अस्तु ऐसे जिनेन्द्र भगवान के अवलम्वन स अपन भी किसी न किसी समय आत्मशक्तिका विकाश कर श्रीजिनेन्द्र तुल्य हो सकेंगे। इसी
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