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( १११ ) ही हेतु से श्रीजिनेन्द्र परमात्मा की पूजा भक्ति करना परम योग्य है। पूजारियोंके कार्यकी तपसील (विवरण)
१ पूजा के कपड़ों बिना अथवा गर्भहमें पहिनने योग्य कपड़ों विना, दूसरे कपड़े पहिन कर अथवा कम्बली पहिन कर गर्भगृहमें प्रवेश नहीं करना चाहिये, एवं दूसरा भी कोई इस तरह गर्भगृहमें प्रवेश करता हो तो उसे सभ्यता से समझा देना चाहिये।
२ पूजा वगैरह के कपड़े भगवान की दृष्टि के सन्मुख नहीं बदलने चाहिये, और दूसरा भी कोई बदलता हो तो उसे ऐसा नहीं करनेके लिये सभ्यता से समझा देना चाहिये।
३ पूजाकी केशर अधिक पतली नहीं घिस कर भगवान के अङ्गपर टिके तथा बह न जाय ऐसी गाढ़ी घिसनी चाहिये।
४ प्रक्षालन (पखाल) का दूध हरदम छान कर उपयोग करना चाहिये।
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