________________
( ८२ )
महिमासाहि का
इतिहास की दृष्टि से इस कृति का कुछ महत्त्व है । शरण में आना, धारू की उड्डानसिंह के हाथ मृत्यु, हम्मीर और अलाउद्दीन के दूत का कथोपकथन, रणमल का विश्वासघातादि ऐसी सामग्री है जो अन्यत्र भी मिलती है । विशेष ध्यान देने योग्य बातों में जाजा का महत्व है । हम्मीर को उस पर बड़ा भरोसा है। जाति से इन कवित्तों के अनुसार वह बड़गूजर है ( कवित्त २ ) दूहे २ में वह 'परदेसी पांदणों' के रूप में अभिहित है ( पृ० ४९, दूहा २ ); किन्तु वह हम्मीर का विश्वस्त 'स्वामिर्मी' सेवक है । (१६) उसके पिता का नाम वैजल है ( १७ ) और उसके एवं राव के मरने पर ही गढ़ का पतन होता है ।
वित्त में जाजा को 'बड़गूजर, हम्मीरायण में 'देवड़ा', हम्मीर महाकाव्य में 'चाहमान' और भाट खेम को कृति में फिर बड़गूजर के रूप में देखकर जाजा की जाति को निश्चित करना कठिन पड़ता है । किन्तु इनमें सबसे प्राचीन कृति हम्मीर महाकाव्य है; और उसीका कथन सम्भवतः सबसे अधिक विश्वस्त है' । युद्ध को बारह वर्ष तक चलाना (२१) अशुद्ध है । हम्मीर के स्वर्ग प्रयाण के लिए श्रावण मास पञ्चमी तिथि और शनिवार ठीक हो सकते हैं । किन्तु 'छमीछर अगणमै' अशुद्ध है ( २० ) । न कवित्त का पृथ्वीराज हम्मीर महाकाव्य के भोजदेव का भाई हो तो हम्मीरमहाकाव्य की भोज की प्रतिशोध कथा कल्पित नहीं है । छितिपति छाsदेव और चन्दसूर के विषय में कुछ और शोध की आवश्यकता है ।
भाट खेम की रचना "राजा हम्मीरदे कवित्त" ( पृ० ६०-६६ ) की
१. इसी प्रस्तावना में ऊपर हमारा जाजा- विषयक विमर्श पढ़ें । २. डा• माताप्रसाद गुप्त कथा को कल्पित मानते हैं ( देखें हिन्दुस्तानी
१९६१, पृ० ६-७ )
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org