SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 87
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ लिए प्रयुक्त है। हम अन्यत्र भी इन शब्दों का यही अर्थ प्रदर्शित कर चुके हैं । इस शब्द के प्रयोग का बहुत सुन्दर उदाहरण हम्मीरायण का यह दोहा है: उलगाणा खायइ सदा, ऊरण हुइ इकबार । चाडं घणी ठाकुर तणी, सारइ दोहिली वार ॥१८९॥ - गुडी-यह शब्द छोटी पताका या फरी के अर्थ में प्रयुक्त है। ( १३४ )' बहुत सम्भव है कि इसका मूल किसी द्रविड़ भाषा से लिया गया हो। ग्रास-सामन्ती बोलचाल में इस शब्द का प्रयोग बहुत अधिक है । योद्धाओं की आजीविका के लिए प्रदत्त जागीर और नकद द्रव्य आदि दोनों ही ग्रास के अन्तर्गत हैं ( देखो २१,५०,५१,५२,१९०, २२४ आदि) असपति (८८)-यह अश्वपति शब्द का अपभ्रष्ट रूप है। सर्वप्रथम यह शब्द केवल उत्तर पश्चिमी भारत और अफगानिस्तान के मुसलमान राजाओं के लिए प्रयुक्त हुआ था। इसका कारण शायद उनकी बलशाली अश्वारोही सेना रही हो। किन्तु परवर्ती काल में दिल्ली, गुजरात आदि के सुल्तानों के लिए यह शब्द प्रयुक्त होने लगा। हम्मीरायण का प्रयोग इसी दूसरी प्रकार का उदाहरण है। . .. आलमशाह' ( ८४, ८५, ८८,६१, १२०, १७५ आदि )यह शब्द व्यक्ति वाचक सा प्रतीत होता है। किन्तु वास्तव में यह चक्रवर्ती के अर्थ में प्रयुक्त है। __१ देखें वरदा वर्ष ४ के अङ्क में 'गुडी उछली' पर हमारा टिप्पण । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003823
Book TitleHammirayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy