________________
( ६७ )
इसी तरह बर्नी ने भी इस उपाय के निष्फल होने का निर्देश किया है । दुर्गमन होने पर हथियार न डालना, राजपूतों की विशेषता थी । इसी कारण से शत्रु यथाशक्ति अन्य उपायों द्वारा ही दुर्ग को हस्तगत करने का प्रयत्न करते । दुर्ग में सीधा घुसना तो सर्प के
मुँह में हाथ
डालना था । *
सामाजिक जीवन
हम्मीरायण आदि काव्यों के आधार पर तात्कालिक सामाजिक जीवन के विषय में बहुत कुछ कहा जा सकता है । संक्षेप में ही ब्राह्मणों के प्रति आदर, महाजनों की दृढ़ आर्थिक स्थिति, वीरों का धर्मगत भेद होने पर भी परस्पर सौहार्द, बेश्या प्रथा का प्रर्याप्त प्रचार, नाट्य नृत्य संगीतादि में जनता की रुचि और दानशीलता आदि कुछ ऐसे विषय हैं जिनका हमें
इस काव्य से अच्छा ज्ञान होता है। विशेष रूप से नाल्ह भाट का चरित पठनीय है। चारण और माट मध्यकाल में प्रायः वही महत्त्व रखते हैं जो सामन्त और सरदार | चौदहवीं शताब्दी के महान् कवि पण्डित ज्योतिरीश्वर के वर्णरत्नाकर का निम्नलिखित भाटों का वर्णन इतना सजीव और मध्यकालीन स्थिति का परिचायक है कि पाठकों के समक्ष उसे उपस्थित करना हम उचित समझते हैं, वर्णन निम्नलिखित हैं :अथ भाट वर्णना - मारपरिकली परिहने । सारु सोनाक टाड चारि परिहने । खडनीक पाग एक मथा बन्धने । सो न सूचीक कराओ एक । देवगिरि पछेभोला एक फाण्ड बन्धने । तीषि त्रोषि, वाकि, नीकि सोना * गड़गज आदि कुछ अन्य यन्त्रों को परिभाषा के लिए आगे दिये मुसलमानी तारीखों के अवतरण देखें ।
1
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org