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- सींगणी गुण तोडइ सुरताण. आलम साह न खाई (न) खाण (२६८)
उलूराखाँ आदि के चरित सामान्यतः ठीक हैं। वर्णन बहुल होने के कारण अन्य अनेक प्राचीन काव्यों की तरह यह काव्य चरित्र के विकास पर विशेष बल न दे सका है।
सामंतशाही जीवन और सैन्य सामग्री
उस समय के जीवन के अनेक पहलुओं पर, विशेषतः तत्कालीन सामन्तशाही जीवन और सैन्य सामग्री पर हमें इस काव्य से पर्याप्त सामग्री मिली है। राजा की मुख्यता तो स्वीकृत ही है । उस की नीति पर सब कुछ निर्भर था और यह नीति शान्ति की भी हो सकती थी और विग्रह की भी। किन्तु नीति का निर्धारण करने पर भी उसके लिए यह आवश्यक था कि वह समाज के दो प्रभावशाली वर्गों, सामन्तों और महाजनों को अपनी ओर रखे। यही उसकी जन-शक्ति और धनशक्ति के आधार थे। सामन्तों का और सामन्तों के प्रति राजा के व्यवहार का इस काव्य में अच्छा वर्णन है। राजा के सामन्तदल में सवालाख घोड़े थे (१९)। कुलवान् और अच्छे शूर व्यक्तियों को राजा पूरा वेतन (प्रामादि) देता। समय पड़ने पर वे उसका काम निकालते। वह उनका कभी अपमान न करता (२१)। वे कभी किसीको प्रणाम (जुहार) न करते, घर बैठे भंडार खाते, युद्ध में वे किसी से भी न डरते। भगवान् से भी लड़ने के लिए तैयार रहते (२२)। उनके पास कवच और अनेक प्रकार के शस्त्रास्त्र थे। सूर वंश के रणमल और रायपाल हम्मीर के प्रधान थे। उन्हें आधी बूंदी ग्रास (जागीर) में मिली थी। जब मुहम्मदशाह और
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