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विन्यास प्रायः वही है । जालोर और रणथंभोर का वर्णन, सेना का प्रयाण, महमद अहमद, काफर और माफर जैसे शब्दों की सूची, राजपूत जातियों के नामोल्लेख और ग्रढ़ का शृङ्गारादि अनेक अन्य एकसे वर्णन हम्मीरायण के पाठक को कान्हड़दे प्रबन्ध की याद दिलाते हैं । नीचे हम कुछ समान शब्दावली का उदाहरण भी प्रस्तुत कर रहे हैं । इनके आधार पर कोई बात निश्चित रूप से तो नहीं कही जा सकती, किन्तु यह विचार कभी-कभी उत्पन्न होता है कि afra ने शायद कान्हड़दे प्रबन्ध सुना हो । किन्तु यह ध्यान भी रहे कि यह साम्यता विषय के साम्य और प्रचलित सामान्य प्रणाली के कारण भी हो सकती है।
कान्हड़दे प्रबन्ध
१. द्यउ मुझ निर्मल मत्ति
२. मुडोधानी कुँअरी घणी, अंतेउरी कान्हड़दे तणी ४.५२
१.१
३ : टांका वावि मर्या घी तेल, वरस लाख पुहुचइ दीवेल ॥४-३६ ४. इणि परि राजवंस जे सबइ,
लहइ ग्रास ग्राम भोगवइ ॥४.४५ ॥ ५. अंगा टोप रंगाउलि षोड़ा ॥१.१८९ ६. कान्ह तर संपति इसी,
जिसी इंद्रधरि रिद्धि ॥१.९
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हम्मीरायण
१. कथा करंता मो मति देहि १ २. ऊलग करइ मोडोघा घणी । १९ मोटा राय तणी कूंपरी परणी पांचसइ अंतेउरी । २५ ३. घीव तेल री बावडि जिसी ।
जीमतां नहीं कदे खूटसी ॥२४॥ ४. जे कुलवंता भला छइ सूर, तिह नइ इ ग्रास तणा सवि पूर २१ ५. अंगाटोप रिगावली तणा ॥ २३ ॥ ६. पुहवी इन्द्र कहीजइ सोइ इन्द्रसभा हम्मीरां होइ ॥ ६ ॥
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