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________________ हम्मीर महाकाव्य में हम्मीर के देहावसान के बाद दो दिन तक जाजा के युद्ध का वर्णन है। "प्राकृतपैङ्गलम्" आदि में जो अनेक उक्तियां जाजा के सम्बन्ध में है, उन में कुछ का जाजा के इस अन्तिम युद्ध से सम्बन्ध हो सकता है। जाजा हम्मीर के लिए क्या नहीं करने को उद्यत था, सेना में सब से अग्रसर हो युद्ध करने के लिये, सुल्तान के सिर पर अकेले बढ़ कर तलवार चलाने, सुल्तान के क्रोधानल में आहुति देने, और अपने स्वामी की शिरः कमल द्वारा पूजा करने के लिए, स्वामिभक्ति के इतिहास में जाजा का नाम अग्रगण्य है। हम्मीरायण ने गढ़ पतन की तिथि संवत् १३७१ रखी है जो सर्वथा अशुद्ध है। अमीर खुसरो की दी हुई तिथि १० जुलाई, सन् १३०१ (वि० सं० १३५८) है और हम्मीर महाकाव्य की तिथि १२ जुलाई बैठती है जो जाजा के राज्य के दो दिनों को सम्मिलित करने से ठीक ही बैठतो है। हम्मीरायण और कान्हड़दे प्रबन्ध हम ऊपर इस बात का निर्देश कर चुके हैं कि हम्मीर महाकाव्य और हम्मीरायण के मूल स्रोत सम्भवतः कई ऐसे फुटकर काव्य हैं जिनकी रचना हम्मीरदेव के देहावसान के थोड़े समय के अन्दर हुई थी। 'भाण्डउ' व्यास और हम्मीर महाकाव्य की कथा में साम्य का यह कारण हो सकता है। किन्तु स्थान-स्थान पर यह भी प्रतीत होता है कि भाण्डउ व्यास ने हम्मीर महाकाव्य से कुछ बातें ली है ; और ऐसा करना अस्वाभाविक भी तो नहीं है। ... कान्हड़दे प्रबन्ध और हम्मीरायण में भी काफी समानता है। कथा का Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003823
Book TitleHammirayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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