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( ४७ ).
यण के वर्णन में शुरू से ही रतिपाल (रायपाल) और रणमल्ल (रिणमल) अलाउद्दीन के दरबार में पहुंचते हैं। हम्मीरमहाकाव्य में रणमल्ल का विद्रोह रतिपाल की कारिस्तानी का फल है। किन्तु इनमें से कोई भी कथन ठीक हो, यह तो निश्चित ही है कि हम्मीर के ये दोनों प्रधान सेनानी शत्रु से जा मिले थे। ____ हम्मीरायण और हम्मीरमहाकाव्य में कोठारी के विश्वासघात या मूर्खता के कारण हम्मीर को यह झूठी सूचना मिलती है कि दुर्ग में धान्य नहीं है। किन्तु खज़ाइनुल फुतूह के वर्णन से तो प्रतीत होता है कि दुर्ग में अन्न का वास्तव में अकाल पड़ चुका था। अमीर खुसरो ने लिखा है, "हां, उनकी सामग्री समाप्त हो चुकी थी। वे पत्थर खा रहे थे। दुर्ग में धान्य का अकाल इस स्थिति तक पहुँच चुका था कि एक चावल का दाना दो स्वर्णमुद्राओं से वे खरीदने को तैयार थे और यह उन्हें न मिलता था।२ अलाउद्दीन को इस अन्नामाव की सूचना देकर रतिपाल और रणमल्ल ने मानों दुर्ग के पतन को निश्चित ही बना दिया। हम्मीरायण और हम्मीरमहाकाव्य का यह कथन कि वास्तव में भण्डार अन्न परिपूर्ण थे, सम्भवतः ठीक नहीं है। इसी अन्नाभाव के कारण सम्भवतः हम्मीर की बहुत सी सेना उसे छोड़कर चली गई थी।
दुर्ग में जौहर की कथा सभी ग्रंथों में वर्तमान है। मुसल्मानों ने भी इसकी ज्वालाओं को देखा; और अनुमान किया कि गढ़रोध समाप्ति पर १. हम्मीर के कवित्त में भी (देखो पृ० ४७) में अनेक स्वामिद्रोहियों
के नाम हैं। इनमें वीरम को झूठ मूठ समेट लिया गया है। २. हबीब ( अनुवादक ), खज़ाइनुलफुतूह, पृ० ४० ।
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