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________________ ( ४५ ) फरिश्ता ने हम्मीरमहाकाव्य के इस कथन का भी समर्थन किया है कि हम्मीर ने दुर्ग से निकल कर मुसल्मानों को बुरी तरह से हराया। यह' पराजय इतनी करारी थी कि एकबार तो मुसल्मानी सैन्य को घेरा उठा कर झाईन के दुर्ग में आश्रय लेना पड़ा ।' हम्मीरायण में मारी गई मुसल्मानी सेना की संख्या सवा लाख और हम्मीरमहाकाव्य में ८५,००० है । वास्तव में मारे गए मुसल्मानी सैनिकों की संख्या ८५,००० से भी पर्याप्त कम' रही होगी। एक दो दिन की लड़ाई में उन दिनों इतने आदमियों का हत' होना असम्भव था। ____हम्मीर की नर्तकी धारू के मारे जाने की कथा दोनों काव्यों में है। हम्मीरायण ने बारु नाम और बढ़ा दिया है। मल्ल और खेम की कवित्तों में भी एक ही नतकी है। वारू, वारङ्गना का ही पर्याय है, माण्डउ ने उसे अलग समझ लिया मालूम देता है। इस कथा की वास्तविकता का कोई निश्चय' नहीं किया जा सकता। प्रायः ऐसी ही कथा कान्हड़दे - प्रबन्ध में भी है। गढ़ रोध के वर्णन में भी समानता है। हम्मीरमहाकाव्य में अलाउद्दीन के खाई को पूलियों और लकड़ी के टुकड़ों से भरने और दुर्ग तक सुरंग पहुँचाने के प्रयत्नों का वर्णन है। जिस तरह हम्मीर ने इन प्रयत्नों को विफल किया उसका भी इसमें निर्देश है। यह वर्णन मुसल्मानी इतिहासकारों द्वारा समर्थित है। हम्मीरायण में खाई को बालू के थेलों से पाट कर और उन्हीं के बृहत् ढेर पर चढ़ कर गढ़ के कंगूरों तक पहुँचने का मनोरञ्जक. वर्णन है । मुसल्मान इतिहासकारों ने लिखा है कि अलाउद्दीन ने बाहर से मँगवा कर सेना में थेले बँटवाए थे। 'भाण्ड' ने उनके पायजामों की ही बालू की पोटलिया बनवा दी है। इस वर्णन में हम्मीरमहाकाव्य और. १. आगे दिया तारीखे फरिश्ता का अवतरण देखें। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003823
Book TitleHammirayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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