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कारण बना। यही तथ्य हम्मीरायण के कर्ता 'माण्डउ' को भी ज्ञात था। हम्मीरायण के महाजन भी सैनिक व्यय के विरुद्ध आवाज उठाते हैं; किन्तु सब व्यय के विरुद्ध नहीं, अपितु उस व्यय के जो मीर भाइयों के वेतन के कारण उन पर लद गया था।' ____ हम्मीर महाकाव्य और हम्मीरायण दोनों ही जाजा को प्रमुखता देते हैं, किन्तु दोनों के स्वरूप में कुछ अन्तर है। हम्मीरायण का जाजा पाहुणा है। वह घोड़े बेचने निकला है, और दैववशात् उसी स्थान पर पहुंच जाता है जो उलूखाँ ने घेरा है । उसके सवार मुस्लिम सेना विनाश करते हैं और वह उलूनखां के आने की सूचना रणथम्भोर पहुंचाता है । हम्मीर उसे बहुत धन देता है। जब उलूगखां हीरापुरघाट होकर छाइणी (झाईन ) नगर को जलाकर उसके राज्य स्थान को ढहाकर बढ़ता है और हम्मीर, महिमासाहि और गाभरू को साथ लेकर रात के समय मुसलमानी सैन्य पर आक्रमण करता है, हम्मीरायण के जाजा का इसमें कुछ विशेष हाथ नहीं है।
हम्मीर महाकाव्य में जाजा हम्मीर के वीर सेनानी के रूप में वर्तमान है। वह हम्मीर के आठ प्रधान वीरों में एक है। वह उन सेनानियों में से १ मुसल्मानी तवारीखों में धर्मसिंह का नाम नहीं है। किन्तु उन्होंने दिल्ली सल्तनत का इतिहास लिखा न कि हम्मीर के राज्य का। अन्य बातों में भी हिन्दू साधनों पर अनैतिहासिकता का आक्षेप करते समय लेखकों को मुसलमानी इतिहासों की अपूर्णता और उनके पूर्वाग्रहों का भी ध्यान रखना चाहिए। उनमें परस्पर विरोध भी पर्याप्त हैं।
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