SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 55
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ३८ ) अगरचन्दजी को प्राप्त प्रति में यह कवित्त त्रुटित है। भोज का भाई पीथम या पृथ्वीसिंह इसी तरह मल्ल के कवित्त ९ का 'प्रीथीराज हो सकता है जिसके रणथम्भोर से प्रयाण और बादशाह से मिलने का स्पष्ट निर्देश, "प्रिथीराज परवाण कियौ, पतिसाहां भेलो" शब्दों में है। ११ वें पद्य में फिर यही 'पीथल' के रूप में वर्तमान है । इसलिए यदि हम्मीरमहाकाव्य की प्रामाणिकता के लिए भोजादि व्यक्तियों का 'कवित्तादि' में निर्देश अमीष्ट हो, नो वह निर्देश भी वर्तमान है। ___ धर्मसिंह की कथा को कल्पित क्यों माना जाय ? उसमें न असंगति है और न अलौकिकता। विद्यापति आदि ने उसका नाम न लिया है तो उसके अनेक कारण हैं। उनकी कथा अत्यन्त संक्षिप्त है। वह उन अमात्यों में भी न था जो भागकर अलाउद्दीन से जा मिले थे। वह हम्मीर के पतन का कारण बनता है; किन्तु केवल ऐसे रूप में जिसका अनुमान मात्र किया जा सकता है। ठोक पीट कर देखने से मालूम पड़ता है कि नयचन्द्र को नाम घड़ने की आदत न थी और उसे इतिहास की अच्छी जानकारी थी। और तो क्या उसकी तिथियाँ तक ठीक हैं। नयचन्द्र ने रणथम्भोर पर अलाउद्दीन के आक्रमण का कारण उसकी दिग्जिगीषा, और रणथम्भोर के पतन का कारण मुख्यतः हम्मीर की गलत आर्थिक नीति को समझा है । नयचन्द्र ने वास्तव में जिस रूप से कथा को प्रस्तुत किया वह उसे काव्यकार के ही नहीं, इतिहासकार के पद पर भी आरूढ़ करता है। अलाउद्दीन से विग्रह बन्ध चुका था। बहुत बड़ी सेना, विशेषतः घुड़सवारों को रखना आवश्यक था। अतः धर्मसिंह को अपना अर्थ-सचिव बनाकर उसने प्रजा पर खूब कर लगाए। यह आर्थिक उत्पीड़न हम्मीर के पतन का मुख्य Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003823
Book TitleHammirayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy