SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 54
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ३७ ) पूर्णतः प्रज्वलित कर दिया । इसके अतिरिक्त अन्य घटनाएँ भी हुई जिनसे भल्लाउद्दीन को रणथम्भोर लेने के लिए और भी दृढ़प्रतिज्ञ होना पडा । अतः विवेचना से सिद्ध है कि युद्ध के कारण दोनों काव्यों में ठीक हैं । किन्तु इम्मोरायण ने केवल तात्कालिक कारण देकर सन्तोष किया है । हम्मीरमहाकाव्य की दृष्टि और कुछ गहराई तक पहुंची है' । युद्ध की घटनाओं के वर्णन में कुछ अन्तर है किन्तु मुसलमानी तवा - रीखों को पढ़ने से प्रतीत होता है कि हम्मीरमहाकाव्य ने जलालुद्दीन के समय की कुछ घटनाएं सम्मिलित की हैं। भीमसिंह की मृत्यु और धर्मसिंह का अन्धीकरण शायद सन् १२९१ के लगभग हुए हों । धर्म सिंह पर पुनः कृपा सन् १२९१ और १२९८ के बीच में हुई होगी। हम्मीरायण आदि में इन घटनाओं का अभाव सम्भवतः इनके सन् १२९८ के पूर्व होने के कारण है । किन्तु भोजादि की कथाएं कल्पित नहीं है । खांडावर या खङ्गधर भोज भारतीय ऐतिह्य का प्रसिद्ध व्यक्ति है । उसने तन मन से अल्लाउद्दीन की 1 सेवा की और वह अन्ततः कान्हडदे और सातल के विरुद्ध युद्ध करता हुआ मारा गया । यही मोज सम्भवतः खेम के पन्द्रहवें कवित्त का भोज है; और यह भी बहुल सम्भव है कि मल्ल के दशर्वे पद्य में भी ( जिसके आधार पर खेम का पन्द्रहवां पद्य लिखा गया है ) भोज का नाम रहा हो । श्री १ - अलाउद्दीन की नीति के लिए देखें तारीखे फिरोजसाही, जिल्द ३, पृष्ट १४८ ( इलियट और डाउसन का अनुवाद ); आगे दिए हुए मुस्लिम तवारीखों के अवतरण, "अर्ली चौहान डाइनेस्टीज” पृ. १०८, १०९ और प्रस्तावना के अन्त में प्रदत्त हम्मीर की जीवनी | २ - देखें महभारती, भाग ८, पृ. ११३ ११४ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003823
Book TitleHammirayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy