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हम्मीरायण के :-
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गाथा १२८ से उदयपुर की प्रति प्रारंभ होती है ।
( एक गाथा का अंतर है ) १२६ मेल्हाणउ दियउ, निसि नी बलि हुउ घोरंधार । १३० भउ सहु , अवरिज , लोक तणइ उछव अपार, पुण्य
उपरि तिह कीध अचार । १३१ वधावा, देखइ गोयरइ । १३२ (हउ) घरि ऊपनउ भलइ चहुआग, रिणथंभउर ऊपनउ
राउ । १३३ धरइ, आपइ, समापइ, सिणगारियउ, भल्लइ, पाहुणउ,
अम्ह तणउ जनम ति आज सुधन्य । १३४ रिणथंभउरि, कोसीसे कोसी ते । १३५ पउलि, त्रिंबक। १३६ धरियह, अरि पड़इ पराण, वाजई वरघू रिण काहली,
गढि ऊपरि चालइ ढीकुली।
उदयपुर की प्रति में १३६ वां छन्द :मंत्र समदाया झूझण भली, देव सहु आव्या जोवा भणी। गढि गाढउ कीधउ ऊछाह, सिणगारथ रिणथंभउर मांहि ॥१३६
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