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परिशिष्ट (३) देव, यह नहीं हो सकता। सवसे पूर्व शत्र के मस्तक पर मेरा ही खङ्ग प्रहार होगा। राजा ने कहा- किन्तु स्त्रियों को तो बाहर कर . देना चाहिये तो स्त्रियों ने उत्तर दिया-स्वामिन् . हमारे स्वर्गयात्रा महोत्सव में आप बाधा क्यों डालना चाहते हैं ? अपने प्राणपति के बिना हम यहां कैसे रह सकती हैं। क्योंकि इस संसार में वृक्षों के बिना लतायें और नाथ के बिना स्त्रीगण कैसे जियें ? पतिव्रताओं के प्राण तो पति के प्राण के अनुगामी होते हैं।' इसलिये हम भी जौहर करेंगी। यों परोपकार हेतु प्राण विसर्जन करने वाले राजा हम्मीरदेव के सुभट युद्ध में चले गये और स्त्रियों ने जौहर कर डाला।
तब प्रातःकाल युद्ध शुरू होने पर अश्वारोही हम्मीर अपने सैन्य सहित वीरतापूर्वक किले से निकल शत्रु ओं पर टूट पड़ा। घोड़ों को गिराता हुआ, हाथियों को मारता हुआ, रथों को तोड़ता तथा कबंधों को नचाता और धरती पर खून की नदी बहाता हुआ हम्मीर युद्ध में घोड़े की पीठ पर ही वीरगति को पा सूर्यलोक गया। ____ हा, सर्वस्व छोड़ हम्मीर युद्ध में काम आया। वे महल अनु-. पम गुणवाले हैं, वे रमणियां प्रसन्न हैं, वह राज्य धनधान्यपूर्ण है, हाथी घोडों से भरा है, जिसे मनुष्य शत्रु के लिये नहीं छोड़ देना चाहता।
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