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हम्मीरायण
भैरव शब्द ( सुनाई पड़ रहा है, (शत्रु राजा भी) पृथ्वी पर गिरते हैं, सिर को पीटते हैं तथा उनके सिर टूट रहे हैं ।
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जलहरण :
खुर खुर खुद खुद महि घघर रव कलइ णणगिदि करि तुरअ चले,
गिदि पलइ टपु धसई धरणि । धर चकमक कर बहु दिसि चमले || चलु दमकि - दमकि दलु चल पइकबलु, घुलकि - घुलकि करिवर ललिआ ;
में
वद मणुसअल करइ विपख हिअअ । सल हमिर वीर जब रण चलिआ || २०४ ||
जब वीर हमीर रण की ओर चला, तो खुरों से पृथ्वी को खोद-खोद कर ण ण ण इस प्रकार शब्द करते, घर्घररव करके घोड़े चल पड़े ट ट ट इस प्रकार शब्द करती घोड़ों की टापें पृथ्वी पर गिरती हैं, उसके आघात से पृथ्वी धंसती है, तथा घोड़ों के चँवर बहुतसी दिशाओं में चकमक करते हैं । [ जाज्वल्यमान हो रहे हैं ]; सेना दमक-दमक कर चल रही है, पैदल [चल रहे हैं], घुलक- घुलक करते, (झूमते ) हाथी हिल रहे हैं, ( चल रहे हैं), वीर हमीर जो श्रेष्ठ मनुष्यों में हैं, विपक्षों के हृदय शल्य चुभो रहा है ( पीड़ा उत्पन्न कर रहा है ) |
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