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हम्मीरायण
भाट घणउ सनमान्यउ ताम, स्वामि काज कीधउ अभिराम ; वयर वाल्यो हमीरदे तण, कलि माहि नाम राख्यउ आपण; ३२३ रामायण महाभारथ जिसउ, हम्मीरायण तीजउ तिसउ; पढइ गुणइ संभलइ पुराण, तियां पुरषां हुइ गंग सनान;
संवत् - १६३६, वरषे भादवा वदि १० रविवारे लिखितं विजकीरति मलधार गच्छे ।
॥ राय हमीरदे चौपई पूरी छै ॥
दूहा गाहा वस्त चऊपई, तिनिसइ इकवीसा हुई; पनरह सइ अठतीसइ सही, काती सुद्दि सातम सोम दिनि कही; ३२५ सकल लोक राजा रंजनी, कलिजुगि कथा नवी नीपनी; तां दुख दालिद सहु टलइ, 'भांडउ' कहइ मो अफलां फलइ ३२६
३२४ हमीरायण वीतउ, गंगा, ३२५ चउपही ।
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