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हम्मीरायण
स्वामीद्रोह करइ मित्रद्रोह, विश्वासघात करइ नर सोई; थापणि राखइ प्रकासइ गुझ, सो नर मारीजइ अबूझ, ३१३ जे हुता मोटा परधान, बूंदी सरिखा भोगवता ग्राम; सई हथि बीड़उ लहता बेउ, पगस्यउं राव दिखाल्यउ तेउ; ३१४ बाण्या हाथि हुंता कोठार, राय हमीर न लहतउ सार; . दास किराड़ कूड कीयउ घणउ, धान नाखिउ कोठारा तणउ; ३१५ रणमल, रायपाल, वाण्या तणी, खाल कढाइ अंगुठा थकी; भाट समाध्यउ गाढउ होई, कलि मांहे पाप करइ नवि कोई; ३१६ जइ तूठउ (तउ) आपइ तउ आपि, भाट नइ वलि धइ निरबाप; पातिसाह विमासइ आप, रिणमल रिउपाल मास्या नहीं को पाप; ३१७. जयइर लहता एता ग्रास, तीया मांहि कुण कीधा काम; पातिसाह दीधउ फुरमाण, खाल कढावउ बिहु नी तिणि ठाम; ३१८ पापी नइ आपडीयउ पाप, कीधउ समाध्यो गाढउ भाट; पातिसाह उसंकल हूवउ, हणी भाट सुरगापुरि गयउ; ३१६ रजपूता ने दीधा दाध, घोर घलाव्या (बेऊ) मीर अदाध गंगामांहि प्रवाहउ राइ, घणउ भलउ कीधउ पतिसाहि; धनुपीता चहुयाण तणउ, मात्र पख्य उजाल्यउ घणउ; धनु धनु जीवी राय हमीर, जिणि सरणाई राख्या बे मीर, ३२१ मोटउ मीर महिम्मासाह, जीह पूठि आव्यउ पतिसाह; जाजा वीरमदे रा नाम, जग ऊपरि हुवा तिहरा नाम; ३२२ ३१३ स्वामिद्रोह, विश्वासी ३१४ स = सई ३१६ गयो, ३२२ महिमासाह
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