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हम्मीरायण
भाई भणी मइ भगतावीउ, तु महिमासाह हमीर: देव सूत्र ईसउ हूवउ, वउलाऊ कहि मीर; २५० ईण वचनि झांखा थई, बोलइ बेऊ मी; अनरथ अणहू तर करी; जउ जाहं कहइ हमीर; २५१ म्हां दीधां जइ ऊगरइ, तउ तूं गढ ऊगारि; मीर कहइ हम्मीर दे, अनरथ हुतउ निबारि; २५२ मनि मच्छर अधिकउ धरी, बोलइ राय हमीर डील वड़इ सुरिताण नइ, आपिसु ? बेड मीर; २५३ महिमासाहि इसिउं कहई, निसुणि राय हमीर धान जोवाड़ि कोठार नां, गढ राखां तर मीर; २५४कोठारी राय पूछियउ; केता धान कोठारि; afros वाणिes देखालीया, ठाला लेई अंबार २५५०
( वस्तु )
राउ चिंतइ राउ चितइ मनह मारि गढ गाढ पहड़ीयउ, घणउ द्रोह रणमलइ कीधउ समउधान तूटउ तिहां, अति दुःख कोठारी दीधउ वेग वेग जमहर करउ, कोई मालावर वार पटराणी राजा वीनवइ कुलनउ नाम उगारि २५६ ॥ चउपई ॥
वीरमदे नइ राजा कहइ, तूं नीकलि, जिम वंसज रहइ; वीरमदे कहइ सुणि वीर, तूं मेल्ही न जाऊं हमीर; २५७ -
२५६ वीनवउ
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