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________________ हम्मीरायण - - - राय हमीरपूछ्यउ (छइ) इसउ, पातिसाह मांगइकहि किस; देवलदे मांगइ कुंवरी, द्रोहे बात मनि हुंती कही; २३१ देवलदे ( इ ) कहइ सुणि बाप, मो वड़इ ऊगारि नि आप; जाणे जणी न हुंती घरे, नान्ही थकी गई त्या मरे; २३२ राय हमीर सुधि नवि लहइ; सहु परिघउ फेस्यउ तिणि समइ; गढ नउ लोक न जाणइ भेउ, रणमल रायपाल करइ छइ तेउ; २३३ कोठारी नइ बोल्यउ विरउ, धान नखावि सहु तउ परउ; अम्हनइ बूंदी पूरी हुई , तं परधानउ देस्यां सही; २३४ तिणि नीचि नाख्या सहुधान, रिणमल रउपाल परधान; वीरमदेरी घालइ घात, राय तणइ मनि न वसी बात; २३५. रिणमल रउपाल मांगइ पसाउ; एकवार परघउ द्यउ राउ; कटकि कीलउ करां अति भलउ, जे में तुरक पाडां पातलउ; २३६ राय तणइ मनि नही विशेष , द्रोहे कीधउ काम अलेख सवालाख परिघउ ( द्यइ ) रावु, द्रोहे मिल्या जाई पतिसाहि; २३७. सात वार पहिराव्या तेउ; मूरख हरख्या गाढा बेऊ; कोसीसे थीयउ देखइ राऊ, जोवउ रणमल खेल्यउ डाव; २३८ अणचिंतइवी हुइ कुण बात, दसा देवि दीधी अति घात; पापी परधान पहड्या बेउ; परिघउ सहु लोपउ तेउ; २३६ गढ मांहि नहीं को जूझार, जइरइ हाथि दीजइ हथियार वांकउ देव तणउ विवहार, जीती कोई न जाई संसारि, २४० २३१ पूछइ, इसु मान, २३२ नहीं तु, २३३ भेऊ', २३४ नाखिउ, २३६. करा ति, २३८ खेलइउ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003823
Book TitleHammirayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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