SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 179
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ . हम्मीरायण कवि कहइ 'भांडउ' इसउ, संभलिज्यो सहु कोई; ते प्रधान जं करइ, अचरिज जोवउ लोई; २२२ ॥ चउपही ॥ राय हमीर मोकल्या प्रधान, रणमल रउपाल गया तिणि ठामि, पातिसाह नइ कीया सलाम; आलमसाह दीयइ बहु मान; २२३ रणमल तीरइ पूछइ पतिसाह, तुम्ह नइ ग्रास किसु दे राउ; . अरधी बंदी अमनइ ग्रास, जिमणइ गोडइ बइसारइ पासि; २२४ सइ हथि बीड़उ अम्हनइ दइ राउ, गढ प्रधानउ करां पतिसाह; तउ तुम्हि आव्या बड़ा प्रधान, घर मुकलावउ अम्ह नइ देइमान; २२५ बार वरस तइ विग्रह कस्वउ, गढ लीया विणु काइ पाछउभयउ; रिणमल राइ (पाल) कहइ सुरताण, बंधव गढ नवि लीजइ प्राणि; २२६. पूरी बूंदी द्य सुरताण, अम्हे गढ द्यउ (तुम्ह) विण प्राणि सुणी बात हरख्यउ सुरिताण, लिखि इहां दीध तिहां फुरमाण; २२७ अम्ह तुम्ह विचइ अलख रहमाण, कोस क्रीया करइ सुरताण; बीजा ग्रास द्यउ अति घणा, बाह बोल तु दीउ आपणा; २२८ मति भूला नही तीय मान, तियां मुरिखानी नाठी सान, हीया सूना जाणइ नही ईम, तुरका नइ वेससिजइ केम, २२६ स्वामी-द्रोह कीयउ तिए तिहां, परिघउ ले आवां छां तिहां, मनि हरख्या रिणमल राउपाल, कूड़ करी गढि ग्या ततकाल; २३० २२४ रइ, २२७ दे, २३० रीउपाल Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003823
Book TitleHammirayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy