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________________ हम्मीरायण संइभरिआल न मानइ आण, दंड नवि घई तुझ नइ सुरताण; गढ नवि लीजइ प्राणइ किसइ, कटक मरावीइ कारण किसइ; २१३ थारइ गढ छई आगइ घणा, घर संभालि साहिब आपणा; पुत्र कलत्र सहुअइ परिवार, तीयारइ मेलउ दइ खुदकार; २१४ साहिब कहइ सुणउ सहु मीर, नाक नमणि जे देइ हमीर; . घरि जातां सोभा हुइ घणी, पति पाणी रहइ आपणी; २१५ पातिसाह कहावइ ईम, बार बरस विग्रह नी सीम; तं मोटउ अगंजित राव, सरणाई तणउ पतिसाह; २१६ बार वरस आपे रामति रमी, मुनइ घरि मुकलाविनइ किमइ; हुँ थारइ आव्यउ पाहुणउ, मुहत देइ मो दे ताजिणउ; २१७ दूहा ॥ पातिसाह इसउं कही, गढि मोकल्या प्रधान रामचंदि रूड़उ कीयउ, लोक कहइ चहुआण, २१८ आलम साह रइ आगलइ, तुं ऊगस्यउ अभंग; खिजमति देइ बउलावि नई, जेम रहइ अतिरंग; २१६ लोक कहइ चहुयाण नइ, ईम विमासी जोई; मोटां सुं नमता कदे, दूषण नावइ कोई; २२० घणउ विसास जिहां तणउ, ते तेड्या राय प्रधान; रणमल रायपाल सूरिमा, मोकलिजइ तिणि ठाम; २२१ २२१४ सहुव, २१५ सुणि २१६ अगीजित, २१८ कहइ, २१६ चलावि तुरंग, २२० इम Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003823
Book TitleHammirayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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