________________
२४
--
-
-
हम्मीरायण राउ आगलि नितु पालउ पड़इ, देखी पातसह धड़हड़इ; धारू वारू नाचइ बेऊ, पुठि दिखालइ पातिसाह नइ तेउ; २०३ कोई कटक मांहि भलउ मीर, नाचणि मारइ मेल्हइ तीर; जइ हुवइ महिमासाह नउ कोइ, इय विंदां तणि मारइ सोई, २०४ सारी दुनी मांहि को इसउ, इय विदां तणि मारइ जिसउ; महिमासाह नउ काकउ होई, एअ विदां तणि मारइ सोई; २०५ इयणा घरनी विद्या एऊ, भला मीर नवि जाणइ तेऊ; ढीली मांहि वंदि तुम्हि धस्यउ, तउ खिणि आणि ऊभउ कस्यउ; २०६ तुम्हनइ निहाल करउ बड़ा मीर, इय विदां तणि मारइ तीरि; साहिब सिंगणि वाण्या हाटि, सवालाख अडाणी माटि; २०७ सिंगणी घणी भली द्यइ हाथि, सींगणि खांची कुटका सात; आणावी सिंगणी सुरताणि, मीरां नई अति चड्यउ पराण; २०८ राव आगलि तव माँड्यउ नाच, धारू वारू नाचइ पात्र तोडी ताल पुठि फेरी जाम, मलिक मीर मारी ते ताम; २०६ एकई तीरि पात्रि मारी बेउ, गढ बाहरि मारी पाड़ी तेऊ, घणउ उचिति दीधउ सुलताणि, एउ पवाड़उ कीघउ तिणि ठामि २१० गढ गाढउ विंट्यउ सुरताणि, को सलकी न सकइ तिणि ठामिः मांहो मांहि मरइ लखकोड़ि, पातिसाह नवि जाए छोड़िा २११ बार वरिस नउ विग्रह कीयउ, मीर मलिक घणा तिह मुवा; ढीली थी आई अरदासि, किसइ लोभि साहिब रघउ वासि; २१२ २०४ जय, २०७ कसह, २०६ वमभ रो मरी-मारी ताम, २५० बहरि मोरी
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org