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हम्मीरायण
अति मीठी बाजइ मूहरी, तियरइ नादि वीर रसि चडी; बिहु दलभाट करइ जयकार, सुभट भिड़इ न लाभइ पार ; १८५
ses ( तिह ) करवाल, वाहइ सेल घणा अणियाल ; सींगणि तणा विछइ तीर, इम मेल्हइ भिड़इ तिम वीर; १८६ यंत्र नालि वह ढींकुली, सुभट राय मनि पूजई रली; मरइ मयंगल आवटइ अपार, आहुति लइ जोगिण तिणि वार; १८७ गवर पड़इ विरहिणहिणइ, सुभट घणा रिणांगणि पड़इ ; लहता ग्रास घणा जे जिहां, तेऊ उसकल मांगइ तिहां ; १८८ .
॥ दूहा ॥
उलगाणा
खायइ सदा, ऊरण हुइ इकवार ; चार्ड घणी ठाकुर तणी, सारइ दोहिली वार ; १८६ डील बड़इ लहता सदा, न्यामति घोड़ा ग्रास; गढि गो ग्रहि उरण करइ; त्यां सुरगापुरि वास; १६०
॥ चउपई ॥
पातिसाहि दल भागौ नाम, मार्या मीर मलिक बहु खान; गढ (नई) पूजा कीधी अति घणी, जयति हुइ रिणथंभोरह धणी; १६१
सहु कटक री कीधी सार, सवालाख खूटउ एकवार; सहु मलिक खान करइ सलाम, कटक मरावइ साहिब कुण काम; १६२ १८५ लियराइ, १८६ खाइ, १६० तिहां
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