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________________ २२ हम्मीरायण अति मीठी बाजइ मूहरी, तियरइ नादि वीर रसि चडी; बिहु दलभाट करइ जयकार, सुभट भिड़इ न लाभइ पार ; १८५ ses ( तिह ) करवाल, वाहइ सेल घणा अणियाल ; सींगणि तणा विछइ तीर, इम मेल्हइ भिड़इ तिम वीर; १८६ यंत्र नालि वह ढींकुली, सुभट राय मनि पूजई रली; मरइ मयंगल आवटइ अपार, आहुति लइ जोगिण तिणि वार; १८७ गवर पड़इ विरहिणहिणइ, सुभट घणा रिणांगणि पड़इ ; लहता ग्रास घणा जे जिहां, तेऊ उसकल मांगइ तिहां ; १८८ . ॥ दूहा ॥ उलगाणा खायइ सदा, ऊरण हुइ इकवार ; चार्ड घणी ठाकुर तणी, सारइ दोहिली वार ; १८६ डील बड़इ लहता सदा, न्यामति घोड़ा ग्रास; गढि गो ग्रहि उरण करइ; त्यां सुरगापुरि वास; १६० ॥ चउपई ॥ पातिसाहि दल भागौ नाम, मार्या मीर मलिक बहु खान; गढ (नई) पूजा कीधी अति घणी, जयति हुइ रिणथंभोरह धणी; १६१ सहु कटक री कीधी सार, सवालाख खूटउ एकवार; सहु मलिक खान करइ सलाम, कटक मरावइ साहिब कुण काम; १६२ १८५ लियराइ, १८६ खाइ, १६० तिहां Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003823
Book TitleHammirayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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