________________
हम्मीरायण
॥ वस्तु ॥ ताम राजा ताम राजा धरियउ उछाह; गढ गाढउ सिणगारीउ भला सुभट नइ ग्रास अप्पइ; हरख धरी हम्मीरदे घणउ मान मीरां समप्पइ मुझ गढ भलइज प्राहुणउ आव्यउ अलावदीन; सफल दिवस हुउ मुझ तणउ जन्म आज धन धन्न; १३३
॥चउपई ॥ रणथंभोरि गुडी उछली कोसीसइ कोसीसइ भली; तोरण ऊभवीया घर-बारि, मंगला (दियइ) चारि दियइ वर-नारि,१३४ च्यारि पोलि सिणगारी तिहां, आरीसारा तोरण जिहां; ऊभ्या धइवड़ चौंध पताक, गुहिरा बाजइ त्रंबक ढाक, १३५ बुरिज बुरिज धरइ नीसाण, ढोल ( तणइ ) घाइ पड़इ अरि प्राण; वाजई वरगू नइ काहली, देव सहु जोवा आव्या मिली; १३६ सात छत्र धरावइ सीस, चमर ढलइ (उचइ) रणथंभोरा ईस, पटहस्ती बयठउ चहुआण, नगर मांहि फिरि कीयो मंडाण; १३७
॥दोहा ।। आलम साह आव्या भणी, कीधा बहुत उछाह; गढ गाढउ सिणगारीयउ, रिणथंभोरइ नाह; १३८ हमीरदे मनि हरखीया, दल देखी सुरताण;
आपणपउ धन मानतउ, बंदिण द्यइ अति दान, १३६ १३३ हमारदे ३५ ऊसाध पंध
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org