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________________ “१४ हम्मीरायण नदी तणा जिसा हुइ पूरि, कटक तणा दीसइ झलूरि रूद्र घणा वाजइ नीसाण, गढरा लोक पडइ पराण; १२२ ढलकी ढाल फरहरी चांध, गढ पाखलि फिरीया वेढ; धूजी धरा गढ कांपीयउ, शेषनाग तिहि साही राखीयो; १२३ गढ चांपी आपि सुरताण, मिलाणीरा हुवा फुरमाण; घणा कटक अर मोटा खान, चहु पोलि हुआ मिलाण; पंच वर्ण तिहि देरा दीया, झलकइ कलस सोना रा तिहां; सहु कटक ऊतारा लीया, पाखलि सातपुडा गढ कीया; पातिसाह दल दीठउ जिसइ, गढना लोक चिंतवइ तिसइ गढ ऊपाड़ी पाडिसी, कोसीसा उतारसी; गढ मांहे हूयउ बाकार, सूरज तणी न लाधीसार काला कोट हाथिया तणा, गढ ऊपहरा दीसइ घणा; लोक सहू तिहि करइ विलाप, घणा देवला मांडइ जाप; राय हमीर चिंत नवि धरइ, लोक सहु नइ सुसता करइ १२८ कटक सहु मेल्हाणे. दुवउ, खेहाडंबर भाजी गयउ; दिस निर्मला भागउ अन्धार, ऊग्यउ सूर न लागी वार, १२६ लोका नउ भउ भाजी गयउ, कटक नहीं ए अचरिज भयउ; लोकानइ उपनउ उच्छाह, पुनिहि उपरि हुवउ भाव; १३० घणइ हरखि ऊग्यउ श्री सूर, तउ गढ मांहि वाज्या रिणतूर, राय हमीर वधावउ करइ, पातसाह देखी गोइरइ; १३१ आज अम्हारउ जिव्यउ प्रमाण, हु भलइ ऊपनउ चहुयाण; रिणथंभवरि हउ होवउ राय, मुझ घरि ढीली आव्यउ पतिसाह; १३२ १३१ हरख करउ १३२ जीव्यउ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003823
Book TitleHammirayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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