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हम्मीरायण कोठी अनइ घणा बाजारि, त्रिणि लाख गाडा कटक मझारि ; पोठी ऊंट गादह वेसरा, तिहरी पूठि भरया अति भस्या ११२ पाखर जरद अनइ जीण साल, जल जंत्र नालि ढीकुली झमाल, वर्णा वर्ण कटक मांहि सहु, जं जोईय तं लाभइ बहु; ११३. 'भांडउ' कहइ कटक अनमानि, सवाकोड़ि मिलिउ माणस ताम; खुर रवि खेह छायउ आभ, भूला न लहइ बेटउ बाप; ११४ जोयण च्यार पड़इ मिलाण, रूख वृख न रहइ तिणि ठाणि; समुद्र तणी वेलू हुइ जिसी, पातिसाह फोज हुइ तिसी; ११५. मनि चितवइ इसु सुरताण, जात समउ भांजिसु गढ ठाम; संभरिवाल जीवतउ ग्रहउं, सहर बंदि ले ढीली करउं; ११६ सवालाख माहि दीधीवाह, लूभइ बंधइ माणस आह; ढाहइ पोलि नगर प्राकार, देश माहि वलि फिर्या अपार; ११७.
॥ दूहा ॥ पातिसाह आदेश द्यइ; संभलि अलखान; देस विणास किसउ करउ, गढि जाइ द्यउ रि मिलाण; ११८ द्वाही छइ रि खुदाइ की, जइरि विणासउ देस; सीचाणा ज्यंउ झड़फ ल्यउ, रणथंभवर नरेस; ११६
॥चौपई॥ आलम साह नइ अलुखान, वेगि करि गढि आव्या ताम; पातिसाह गढ दीठउ जिसइ, जोई द्रिष्ट विकासी तिसइ, १२०० सावंदलि आव्यउ सुरताण, फोज कीया मीर मलिक ने खान; हाल हाल करइ अपार, गढ पाखलि फिरीया असवार; १२१ ११२ उट
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