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________________ १६ हम्मीरायण बंदीजण आसीस घई, जइति हुवउ चहुआण; न्हांतां वाल रखे खिसइ, तं हम्मीरदे राणः १४० नगर लोक सहु मिल्या वध्वावर चहुआण; गढ वधावइ अति घण, भरि भरि अंखियाण; १४१ ॥ एक वार मोकलउ प्रधान; कहइ अंबरा मोटा खान, साची वात मानी सुरताणि, प्रधानां रउ जुगतउ जाणि; १४२ मोल्हउ भाट तेडाव्यउ सुरताणि, तेहनइ साहिब दे फुरमाण, सम्भरिवाल तीरइ तुम्ह जाउ, पूछइ किसउ कहइ ते राउ; १४३ राय हमीर तणइ भेटियउ; भाट नइ कीयउ प्राहुणउ; १४४ मोल्हउ भाट गढ माहि गयउ, राय हमीर ति मान्यउ घणउ, भाटइ आसीस ज दीध : चउपई ॥ तु ब्रह्मा जयउ सदा, जयति दीयउ श्री सूरि इतु ईसर रिक्षा करड, राम दीयउ रिधि पूरि १४६ ॥ दोहा ॥ भाट कहइ राजा निसुणि, इकु कीरति अरु लाछि; ते रिवा आवी निसुणि, किसी वरिसि, कहि साच; १४६ तूं वरि बेऊ वर तरणि, सयंवर मांड्यउ सुरितांणि; भाट कहइ हम्मीरदे, भली गिणइ ते माणि; १४७ १४१ वधावइ १४० हमीरदे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003823
Book TitleHammirayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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