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हम्मीरायण
बंदीजण आसीस घई, जइति हुवउ चहुआण; न्हांतां वाल रखे खिसइ, तं हम्मीरदे राणः १४० नगर लोक सहु मिल्या वध्वावर चहुआण; गढ वधावइ अति घण, भरि भरि अंखियाण; १४१
॥
एक वार मोकलउ प्रधान;
कहइ अंबरा मोटा खान, साची वात मानी सुरताणि, प्रधानां रउ जुगतउ जाणि; १४२ मोल्हउ भाट तेडाव्यउ सुरताणि, तेहनइ साहिब दे फुरमाण, सम्भरिवाल तीरइ तुम्ह जाउ, पूछइ किसउ कहइ ते राउ; १४३ राय हमीर तणइ भेटियउ; भाट नइ कीयउ प्राहुणउ; १४४
मोल्हउ भाट गढ माहि गयउ, राय हमीर ति मान्यउ घणउ, भाटइ आसीस ज दीध :
चउपई ॥
तु
ब्रह्मा जयउ सदा, जयति दीयउ श्री सूरि इतु ईसर रिक्षा करड, राम दीयउ रिधि पूरि १४६
॥ दोहा ॥
भाट कहइ राजा निसुणि, इकु कीरति अरु लाछि; ते रिवा आवी निसुणि, किसी वरिसि, कहि साच; १४६
तूं वरि बेऊ वर तरणि, सयंवर मांड्यउ सुरितांणि; भाट कहइ हम्मीरदे, भली गिणइ ते माणि; १४७
१४१ वधावइ
१४० हमीरदे
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