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________________ हम्मीरायण पुरहमाण तु खूद कार, आपि अलह आपि करतार आलमसाह तणइ अवतारि, कलिजुगि अवतरीयो मोरारि ८५ ॥ दहा ॥ खुन घणउ सुरताण नउ, कीधउ महिमासाहि तइ सरणाई हमीरदे, राख्या महिमासाह; ८६ रणथंभवर तणउ धणी, जेऊ न मानइ आण; सांभरि इयरइ वयसणइ, थारउ किसउ प्रमाण; ८७ ॥ वस्तु ॥ ताम असपति ताम असपति धरइ बहु कोप; अलावदीन कहइ इस्यु सहू मीर वेगा हकारउ; पातसाह फुरमाण दइ वेगि वेगि कोठी भराऊ; खान खोजा मलिकज अछइ तेइ म लाउ वार, आलमसाह रणथंभ नइ वेगि हुवउ असवार; ८८ ॥ दहा ॥ मोडि मूछ बोलइं इसउ, लिखउ लिखउ फुरमाण; सहू कटक मिलि आवियो, जे मानइ म्हारी आण; ८९ तिणि अवसरि अलावदीन, कीध प्रतगन्या ईस; रणथंभवर लेइ करी, तउ हूं घरि आवीसुः १० ६० कोध न प्रतन्या Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003823
Book TitleHammirayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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