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हम्मीरायण अति दाता सरणाई सोई, रिणि अभंग सो राजा होई; न करइ कोई अन्याई रीति, राज करइ पूरबली रीतिः २६ सूर वीर बहुत गुण धीर, वहय वीरमदे राय हमीर; खत्रीवट खड़ग तणइ परमाणि, राज करइ रणथंभि चहुवाण; ३० मोटउ राइ राजि विधि बहु, तिणि थानकि निवसइ छइ सहु; करइ लील लोकातिहा सदा, तिणि नगरी दुख नहीं एकदा; ३१ चतुरंग लिखिमी निवसइ तिहां, दुख नही तिहि नयरी किहां; डंड डोर नवि लीजइ माल, तिणि नयरी दुख नहीं एक रसाल; ३२ तिणि अवसरि उलगाणा बेउ, रिणथंभोरि तिह पहुता बेउ; . महिमासाहि गाभरू मीरि, ते आव्या संभल्या हमीरि; ३३ तिहि मीरा नउ वडो प्रमाण, चूकइ नही ते मेल्हइ बाण; तिहरा प्राक्रम पार को लहइ, खडग छत्रीसी नी उपम वहइ ; ३४ सवा लाखरी सिंगणि धरइ, जोड मोल कुणही नवि करइ; तीर लहइ सहस दीनार, मेल्हंइ तीर जाइ घर बारि ; ३५ सरि लागाइ मरइ जइ कोई, सर ना मोल परोजन होई; घाइल हुइ लहै सर सोई, पछि पीडा तिणि पाटउ होई; ३६ बेऊ सूर नइ बेऊ रणधीर, अति दाता महिमासाह मीर; वाडी मांहि उतारा कीया, खाण खाय ते ससुता हुआ; ३७ गढ ऊपरि मोकली अरदासि, बेऊ मीर आव्या तुम्ह पासि; .. मोटो राव सुणी रणथंभि, म्हे आव्या थारइ उठभिः ३८ ३० खोत्रीवट ३२ कदा ( किहां ) ३३ बेउ मीर गाभरू ३६ घोईल ३७ हमीर, ऊतारा
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