________________
हम्मीरायण
कामणा, अंब जंबीरज केतकि तणा;
वाड़ी वृख्य नहीं जाई वेउल चंपक महमहइ, देखी नगर लोक गहगहइ; ८ कोटि जिसो हुवइ इंद्र विमाण, च्यारि पोलि तिणि कोटि प्रधान; पोलि चंडि नवलखीज होइ, चउरासी चहुटा नितु जोई; वाण्या बंभण निवसइ घणा, लाख एक छइ हाटा तणा; वर्णावर्ण लोक तिहं बहू, जाति प्रजा निवसइ छइ सहू; १० सिखरबद्ध दस सहस प्रसाद, ऊंचा सुरगिरि स्युं लइ वाद; सोवन कलस दंड झलहलइ, ऊपरि थकी धजा लहलह ; ११ दानसाल तिणि नगरी घणी, कोटीध्वज विवहारया तणी; बंभण वेद भणइ सुविचार, बंदीजण नितु करें कई वार १२ तिणि नयरी ऊछब अपार, मंगल च्यारि दीयइ वर नारि; जती व्रती तिह निवसइ घणा, तपी तपोधन नहि कामणा; १३ गढ मढ मंदिर पोलि पगार, वास नयर नव जोयण वार; चंपक वरण सरसा गात्र, धारू वारू बे छइ पात्र ; १४ घण वखाण किसु हिव करउ, अलकावती नी ऊपम धरउ; तिणि नयरी विलास अपार, वेस वसइ सहस दस वा १६ त्रैलोक्यमंदिर राय आवास, सीला ऊन्हा धवलहर पासि; भूखी पोलि अछइ तिणि कोटे, रिण नइथंभ विचइ छइ त्रोटि; १७ चहुयाण जयतिगदे पुत्र, राज करें सहु आणी सूत्र; बालउ राजा बइठउ राजु, बंधव वीरमदे जुवराजुः १८ १८ राजि
३४ वन,
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org