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________________ व्यास भांडा कृत हम्मीरायण Jain Educationa International -:: ॥ चउपई ॥ पहिलउ पणमउं सारद पाई, कर जोड़ी हुं विनवउं माई; ' कथा करतां मो मति देहि, अलिय अक्खर अधिक टालेहि; १ सिधि बुधिनायक गणपति नमउ, करिसु चरित महियलि अभिनवड; तेतीस कोड़ि तणउ पड़िहार, पय प्रणमी हुं करडं जुहार; २ बावन वीर तणा लीजइ नाम, तास प्रसादि सीझइ सवि काम; समरउं चउसठि चंडी सदा, तिणी तूठी तूइ विघन नही एकदा ३ कासिपराय तणउ पुत्र भाण, श्री सूरिज प्रणमउं सुविहाण; हम्मीरायण अति सुरसाल, 'भाड' गायो चरिय सुविसाल; ४ राय हमीर तणी चउपई, सांभलिज्यो एक मनह थई; रणथंभवरि जे विग्रह हुवा, राय चहुयाण तहां भूझीया; ५ रणथंभवर गढ मेर समाण, राज करइ हमीरदे चिहुयाण; पुहवी इंद्र कहीजइ सोइ, इंद्र सभा हम्मीरां होइ; ६ तिणि नयरी ना विसमा घाट, वावि सरोवर नय वलि हाट; गिरि गरुय ब्रिक्ष्य आराम, रूअड़ा तिणि नयरी अभिराम; ७ १ देउ, अख्यर, २ नमु ४ हमीरायण, गयो धरिव सुवासाल ५ चउपही ६ हमीरां For Personal and Private Use Only + www.jainelibrary.org
SR No.003823
Book TitleHammirayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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